दोहा:
श्री नन्द-नन्दन जयति, योगेश्वर भगवान।
सुनि लीजै विनती हमारी, श्रीकृष्ण जगत आधार।।
चौपाई:
जय कन्हैया लाल की, जय यशोदा नन्दन।
गोप-गोपिका संग लीला, गावत ब्रज-वृन्दावन।।
जय जय श्री गोवर्धन धारी।
गोपी संग रास रचइया प्यारी।।
मोर मुकुट पर शोभा धारी।
कन्हैया की छवि सबसे न्यारी।।
मुरली मधुर बजावत कान्हा।
जग में प्रेम फैलावत कान्हा।।
यशोदा के तुम लल्ला प्यारे।
नटखट नन्द के दुलारे।।
माखन चोरी कर मुस्काए।
बंसी की धुन पर सब नाचाए।।
गोप संग गोपी मन मोहाए।
रास रचाकर हर्ष बढ़ाए।।
राधा संग प्रेम की छवि।
कृष्ण-राधा संग सुहावनी छवि।।
सुदामा के तुम सखा हो प्यारे।
दरिद्रता को हर कर डारे।।
कालिया नाग का तुमने मान घटाया।
गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठाया।।
रास लीला में रास रचाए।
सब जग के हो पालनहारे।।
महाभारत के युद्ध में, अर्जुन को राह दिखाया।
गीता के ज्ञान से तुमने, सत्य का पथ सिखाया।।
कृष्ण मुरारी दीनदयाला।
जग के रखवारे त्रिभुवन वाला।।
शरण जो कोई आए तुम्हारी।
सबकी विपत्ति हरो महारानी।।
जो कोई गावे कृष्ण चालीसा।
मनवांछित फल पावे, पावन जीसा।।
दोहा:
जय श्री कृष्ण मुरारी, नन्द-यशोदा के लाला।
जो कोई भजै भक्त मन से, पावै सुख का प्याला।।