II ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः।I
जय-जय श्री केतु महाराज, जय-जय श्री केतु महाराज।
सर्प रूप धर करते, ग्रहों में विचरण।।
शुभ-अशुभ फल देते, तुम हो ज्योतिष ज्ञाता।
काल के तुम हो स्वामी, दुष्ट सभी को हरता।।
जय-जय श्री केतु महाराज, जय-जय श्री केतु महाराज।
अधिराज नागों के, करते हो तुम रक्षा।
केतु देव की कृपा से, मिलती है सच्ची साधना।।
जय-जय श्री केतु महाराज, जय-जय श्री केतु महाराज।
शत्रु सब हो परास्त, हो सब सिद्धि प्राप्त।
केतु देव की कृपा से, मिले हमको सुख अपार।।
जय-जय श्री केतु महाराज, जय-जय श्री केतु महाराज।