दोहा:
नमो नमः सूर्याय, दिनकर जगत पुकार।
सकल जगत के तुम ही, हो पालनहारे आधार।।
चौपाई:
जय सूर्य देव, जगत के ताता।
जग में फैली ज्योति तुम्हारी न्यारी।
सात घोड़े रथ पर सवार।
दिवाकर तुम हो जग के आधार।।
तुमसे होता सबका उद्धार।
तुम बिन जग का कौन रखवारा।।
रवि किरण से जगत उजियारा।
अंधकार का तुम ही हारा।।
तुमसे सब ग्रह होते संचालित।
सकल ब्रह्मांड के तुम हो विधाता।।
धरती, आकाश, पाताल का ज्ञान।
सब तुझसे ही होता भान।।
तुम ही लाते दिन और रात।
सुखदायक तुम, करते सबका उद्धार।।
शीतलता और गर्मी तुमसे मिलती।
तुमसे ही सृष्टि सदा चलती।।
तुम हो जीवन शक्ति के दाता।
सब रोग नष्ट हो जो तुम्हें ध्याता।।
तुमको जो भी नित्य मनाए।
सकल विपत्ति दूर हो जाए।।
सिंह पर तुम सदा सवारी।
दुष्टों का करते हो संहारी।।
तुमसे पाते विद्या और ज्ञान।
तुम ही देते सभी सुख महान।।
जो भी करे सूर्य की आराधना।
जीवन में पावे वह साधना।।
जो सूरज को नित्य निहारें।
जीवन में दुःख न हों सारे।।
सूर्य देव की महिमा भारी।
तुमसे कटे विपत्ति सारी।।
जो भी सूर्य चालीसा गावे।
सुख-संपत्ति सब पावन पाए।।
दोहा:
जय जय जय हे सूर्य देवता।
जो भी करे तुम्हारी आराधना।।
सकल जगत का हो कल्याण।
तुमसे हो सबका उद्धार।।