IIॐ नमो भगवते वासुदेवायII
शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम्।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्॥
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्।
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
मेरे विष्णु जी महाराज, तेरी आरती गाऊं।
कर जोड़ खड़े तेरे द्वारे, विनय यही मैं गाऊं॥
लक्ष्मीपति पुरुषोत्तम प्रभु, धरती पर तू आये।
नर सरीर धरके केशव, सत्य धर्म फैलाये॥
तेरे गुण का पार न पाऊँ।
कर जोड़ खड़े तेरे द्वारे, विनय यही मैं गाऊं॥
श्री विष्णु जी की आरती
श्री विष्णु जी की आरती॥
तुम ही ब्रह्मा विष्णु महेश, तुम ही सृष्टि के स्वामी।
सूरज चाँद बने तेरे द्वारा, दिन में रात समानी॥
सब के द्वंद दूर कर दाता, सबका मोल चुकाऊं।
कर जोड़ खड़े तेरे द्वारे, विनय यही मैं गाऊं॥
श्री विष्णु जी की आरती॥