॥ रां रामाय नमः ॥
श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन, हरण भवभय दारुणम्।
नव कंज लोचन कंज मुख, कर कंज पद कंजारुणम्॥ 1 ॥
कंदर्प अगणित अमित छवि, नवनील-नीरद सुंदरम्।
पटपीत मानहु तडित रुचि, शुचि नौमि जनक सुतावरम्॥ 2 ॥
भजु दीनबंधु दिनेश दानव, दैत्य वंश निकंदनम्।
रघुनन्द आनन्द कंद, कौशल्या सुखवर्धनम्॥ 3 ॥
मितरागुनाथ अजय अनाथे, प्राणनाथ अनुकूला।
सुनसरीता जमुनारथ ढोल, सिंधु पतिबल दूला॥ 4 ॥
रघुकुल तिलक वर्दाय राघव, दीन पालयारि।
शेषादि देव गणेश सेवत, बिनवौं मैं सतारी॥ 5 ॥
राघवदास प्रताप तरणी, कूप सरोवर यारी।
सेवक होतो नित्य बलिहारी, त्रिविध ताप बिहारी॥ 6 ॥
सियावर रामचंद्र जी की जय, पवनसुत हनुमान जी की जय।
बोलो भाई सब सन्तन की जय, जय श्री राम, जय श्री राम॥