॥ ॐ षण्मुखाय नमः ॥
ॐ जय श्री कार्तिकेय स्वामी, जय श्री कार्तिकेय।
सुब्रह्मण्य भगवान की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
जय श्री कार्तिकेय स्वामी, जय श्री कार्तिकेय।
धीर-वीर, शूर-सुजान, महाबली देवा।
छह मुख वाले बाला, आठो योगीसेवा॥
जय श्री कार्तिकेय स्वामी, जय श्री कार्तिकेय।
स्वामी तुम देवताओं में सबसे बड़े भाई।
देवसेनापति, शक्ति प्रचण्ड, दुष्टों के दुखदाई॥