॥ ॐ ह्रीं पार्वत्यै नमः ॥
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।
ब्रह्मा सनातन देवी, शुभ फल कीदाता॥
जय पार्वती माता…
अरिगिरी नंदिनी, नंदित मेदिनी।
विष्णु विलासिनी जिसके, सदा विराजत कैलासी॥
जय पार्वती माता…
सतयुग रूपे शुक्ला, धारण कियो।
तब धर्मनाशा दुष्ट दैत्य संहारक संहार कियो॥
जय पार्वती माता…
त्रेता युग में शील तूने, बनाया।
बनकर सीता हरी ध्यान लिन्हा, रावण संहारक॥
जय पार्वती माता…
द्वापर युग रूप श्री राधिका रानी।
श्रीकृष्ण के संग रास रचाया, भक्तो के सुखकारी॥
जय पार्वती माता…
कलयुग में बेद पुराण बखाना।
साधू संतन ध्यान धरा लिन्हा, दुष्टो का संहार किया॥
जय पार्वती माता…
गौरी तू गौर बनाकर, केली।
बरदानी अम्बे भवानी, मनोकामना पूर्ति करती॥
जय पार्वती माता…
चंद्रको दीपक तुम्हारा, माँ ज्वालामुखी धरा।
अम्बे हैं तू जगदम्बे, सबकी पाप हरती॥
जय पार्वती माता…
श्री प्रताप आरती ओउम साँई, जय जय साँई।
जो कोई नर गावे, कहत शिवानन्द स्वामी।
सुख सम्पत्ति पावे॥
जय पार्वती माता…