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नवग्रह चालीसा

दोहा:

नवग्रह सब जन को, देते हैं फलदान।
सुनहु कृपा कर ग्रहों देवता, रखहु सदा कल्याण।।

चौपाई:

सूर्य देव तेजस्वी माया।
सब ग्रहों में सबसे उच्च काया।।
सात घोड़े रथ पर सवार।
जो तुमको ध्यावे, हो भव पार।।

चंद्र देव शीतलता देते।
मन को शांत सदा तुम रखते।।
जिनकी पूजा करें जो प्राणी।
जीवन में पावें सुख पानी।।

मंगल देव बल के दाता।
क्रोधी हो पर विपत्ति न घाता।।
जो भक्त करें मंगल को वंदन।
सदा सुखी हो उनका जीवन।।

बुध ग्रह हो बुद्धि के दाता।
विद्या और ज्ञान के विधाता।।
किसी को धन-संपत्ति तुमसे।
जो भक्त सुमिरन करें हर रोज़।।

गुरु बृहस्पति ज्ञान के सागर।
धन, यश, सुख, सबका हो आधार।।
जो भी तुमको ध्यान लगाए।
सबका मंगल कर बन जाए।।

शुक्र ग्रह हो सुख के दानी।
धन वैभव सबके संजीवनी।।
जो भी करें तुमको नमस्कार।
जीवन में पाएं सदा बहार।।

शनि देव हो न्याय के राजा।
भक्तों के तुम हो त्राता।।
कष्ट हरो और विपत्ति मिटाओ।
भक्तों को जीवन में सफल बनाओ।।

राहु देव हैं पाप हरनहारा।
दुष्टों का तुम हो संहारा।।
जो भी राहु को पूजा अर्पण।
जीवन में पावें सुख सदा जन।।

केतु ग्रह के तुम हो पालनहारा।
जो भी तुम्हें मन से ध्याता सारा।।
दुख को हरते और सुख देते।
केतु देव, विपत्ति हरते।।

दोहा:

नवग्रह कृपा करो दिन-रैन।
सबके जीवन में लाओ चैन।।
जो यह चालीसा गावे।
सब ग्रह दोष से मुक्ति पावे।।

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