दोहा:
जय गिरिजा के लाला, जय शंकर के प्यारे।
सुर-मुनि सब मिल गावत, जय जय कार्तिक स्वामी।।
चौपाई:
जय जय जय हे कार्तिक स्वामी।
शिव के प्रिय तुम हो अनुगामी।।
गंगा जल के तीर बसे हो।
धन्य देवता सबको तारे हो।।
शक्ति से बलशाली महाबीर।
विजय पताका फहराई हर पीर।।
पल में काल को जीतने वाले।
शत्रु दल को हरने वाले।।
तुम्हारा रूप मोहक प्यारा।
सिंहासन पर हो सवार न्यारा।।
षडानन नाम है तुम्हारा।
माता पार्वती के लाल प्यारा।।
तुम हो वीर, महाबली राजा।
महादेव के आशीष का साजा।।
तुम्हें पूजते देव और मुनीश।
भक्तों के तुम हो प्रिय ईश।।
मोर वाहिनी तुमको प्यारा।
तुमसे भय खाता संसार सारा।।
तुम ही हो संकट के हरण।
सच्चे भक्तों के कष्ट निवारण।।
शूरपद्मासुर का किया संहार।
त्रिपुरारी के साथ हो अवतार।।
तुमने किया जो पुण्य महान।
सब देवता तुमको करे प्रणाम।।
ज्ञान और बल के तुम हो दाता।
भक्तों के दुख हरनहार त्राता।।
जो कोई करे तुम्हें मन से याद।
सकल संकट दूर हो साध।।
तुम्हारी महिमा कोई न जाने।
विनती करें सब नर और ज्ञानी।।
जो कार्तिक चालीसा गाए।
सुख-संपत्ति सब पावन पाए।।
दोहा:
जय-जय कार्तिकेय स्वामी, जय जय महाबली वीर।
जो कोई गावे चालीसा, होय सिद्धि का अधीर।।