दोहा:
जय जय काली महाकाली, कृपा करहु माँ दीन दयाली।
सुनहु विनय कर जोरि मनाई, संकट हरहु हमारी महारानी।।
चौपाई:
जय काली माँ, जय महाकाली।
जगतपालिनी, दुःख हरने वाली।।
काली रूप तेरा बड़ा ही प्यारा।
जगत तारिणी, महिमा तुम्हारी न्यारा।।
खड्ग त्रिशूल धरती भवानी।
दुष्ट दलन तुम महा भवानी।।
शेर पर हो विराज महान।
दुष्ट दलन करो भवानी धनवान।।
महाकाली तुम हो जग तारिणी।
तुम ही हो माँ, संकट हारिणी।।
कालिका रूप है बड़ा विकराल।
तुमसे डरते सब महाकाल।।
रक्तबीज का वध कर डारा।
महिषासुर का घमंड उतारा।।
दुष्टों का संहार किया तुमने।
भक्तों का उद्धार किया तुमने।।
शिव के संग तुम शोभा पाती।
महाकाली, तुम सब जग की माता।।
रक्तबीज के संहारिणी तू।
महाशक्ति की अधिष्ठात्री तू।।
जो भी माँ तेरी शरण में आता।
दुख दरिद्र सब शीघ्र मिटाता।।
तुम हो अन्नपूर्णा, तुम ही हो भवानी।
सब संकट हरने वाली महामाया भवानी।।
साधु-संत जो ध्यान लगाते।
सर्वसुख प्राप्त वो भी हो जाते।।
ध्यान धरें जो काली माता।
संकटों से वो छूट जाता।।
दोहा:
जो कोई चालीसा गावे।
मनवांछित फल वह पावे।।
जय काली माँ, जय महाकाली।
तुम हो जगत की पालनहारी।।
सुख-शांति और धान्य बढ़ाओ।
सबकी विपत्ति को दूर भगाओ।।