दोहा:
जय गिरिराज किशोरी, जय महेश मुख चंदा।
मनोकामना पूर्ण करो, जय जगतारिणी अंबा।।
चौपाई:
जय-जय अम्बे जय जगदंबे।
माता तुम हो दया की सागर।
तुम हो शांति की मूर्ति निराली,
मातु भवानी महा सुखकारी।।
जय शैलपुत्री माँ भवानी।
सब जग के तुम हो कल्याणी।।
महादेव की तुम हो प्यारी।
शिव के साथ शोभा न्यारी।।
पुत्र गणेश और कार्तिकेय।
तुमसे ही हैं दोनों देव।
कृपा करो माँ सब पर भारी।
तुम हो जग की पालनहारी।।
रूप तेरा है जग में न्यारा।
सिंह पर हो सवार हमारा।।
कर में त्रिशूल और डमरू धारो।
भक्तों के कष्टों को तुम हर लो।।
रूप तुम्हारा उमा कहलाए।
पतिव्रता धर्म को सब सिखलाए।।
तुम ही हो अन्नपूर्णा माई।
भक्तों का तुम कष्ट मिटाई।।
महाकाली का रूप तुम्हारा।
दुष्टों का तुम करती संहारा।।
कात्यायनी रूप धर माता।
तुम हो दीनों की त्राता।।
पार्वती रूप में शंकर प्यारी।
जगदंबा की महिमा न्यारी।।
जो भी भजे तुम्हें मन से।
वह पावे सुख जीवन से।।
जो भी माँ पार्वती चालीसा गावे।
उसके कष्ट दूर हो जावे।।
मनवांछित फल जो कोई पावे।
पार्वती कृपा से सुख पावे।।
दोहा:
जय-जय माता पार्वती, कृपा करो महारानी।
जो कोई तुझको ध्याये, उसकी सुधि लो भवानी।।